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वक्फ संशोधन विधेयक 2025 लोकसभा में पारित

वक्फ संशोधन विधेयक 2025 लोकसभा में पारित

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केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने 2 अप्रैल को लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक, 2025 पुनः प्रस्तुत किया। 12 घंटे की विस्तृत बहस के बाद, यह विधेयक 288 मतों के समर्थन और 232 के विरोध के साथ पारित हुआ। सरकार का दावा है कि ये बदलाव पारदर्शिता बढ़ाएंगे, प्रशासन में सुधार करेंगे और संपत्ति से जुड़े विवादों को कम करेंगे। हालांकि, विपक्षी नेताओं ने इस विधेयक की आलोचना करते हुए इसे “मुस्लिम विरोधी” करार दिया है।

वक्फ क्या है?

वक्फ इस्लामी कानून के तहत धार्मिक या परोपकारी उद्देश्यों के लिए संपत्ति के स्थायी समर्पण को कहते हैं। एक बार वक्फ घोषित होने के बाद, संपत्ति निजी स्वामित्व में नहीं रहती, बल्कि समुदाय की ओर से एक मुतवल्ली (प्रबंधक) द्वारा संचालित की जाती है।

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वक्फ संपत्तियाँ क्या हैं?

इन संपत्तियों में मस्जिदें, ईदगाहें, दरगाहें, इमामबाड़े और कब्रिस्तान जैसी धार्मिक स्थल शामिल हैं। राज्य स्तर के बोर्ड इन संपत्तियों का प्रबंधन करते हैं, और इन्हें बेचा या स्थायी रूप से पट्टे पर नहीं दिया जा सकता।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

इस अवधारणा की शुरुआत दिल्ली सल्तनत के समय हुई, जब सुल्तान मुइज़ुद्दीन सम घोरी ने मुल्तान की जामा मस्जिद को गाँव समर्पित किए। सदियों में, ऐसे दान काफी बढ़े हैं। वर्तमान में, भारत में लगभग 9.4 लाख एकड़ में फैली वक्फ संपत्तियाँ हैं, जिनकी अनुमानित मूल्य लगभग ₹1.2 लाख करोड़ है।

कानून में संशोधन की आवश्यकता क्यों?

सरकार वर्तमान प्रणाली में कई चुनौतियों को उजागर करती है:

प्रस्तावित संशोधन शासन में सुधार, पारदर्शिता बढ़ाने और संपत्ति प्रबंधन में सुधार का लक्ष्य रखते हैं।

विधेयक में प्रमुख बदलाव

विरोध और आलोचना

विभिन्न राजनीतिक दल और समुदाय के नेता इस विधेयक का कड़ा विरोध कर रहे हैं:

लोकसभा में बहस और मतदान

विधेयक पर 12 घंटे की बहस के बाद 288 मतों के समर्थन और 232 के विरोध के साथ पारित हुआ। गृह मंत्री अमित शाह ने डेटा प्रस्तुत किया, जिसमें इन संपत्तियों की तेजी से वृद्धि दिखाई गई:

 

उन्होंने तर्क दिया कि अनियंत्रित विस्तार के कारण बेहतर नियमों की आवश्यकता है। हालांकि, विपक्षी नेताओं, विशेष रूप से इंडिया ब्लॉक से, ने इस विधेयक का कड़ा विरोध किया, यह दावा करते हुए कि यह मुस्लिम समुदाय को असमान रूप से प्रभावित करता है और बोर्ड की स्वायत्तता को प्रतिबंधित करता है। विपक्ष द्वारा प्रस्तावित सभी संशोधन आवाज़ मत से खारिज कर दिए गए।

अगला कदम: राज्यसभा में चर्चा

लोकसभा में विधेयक पारित होने के बाद अब यह राज्यसभा में चर्चा के लिए पेश किया जाएगा। सरकार ने राज्यसभा में चर्चा के लिए आठ घंटे का समय निर्धारित किया है। लोकसभा में हुई तीव्र प्रतिक्रियाओं को देखते हुए, राज्यसभा में भी बहस के तीखे होने की संभावना है।

वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 ने राजनीतिक हलकों में तीखी बहस छेड़ दी है। सरकार का कहना है कि यह विधेयक शासन में सुधार लाएगा, कुप्रबंधन को रोकेगा और संपत्तियों से जुड़े मुकदमों को कम करेगा। हालांकि, आलोचकों का मानना है कि यह मुस्लिम समुदाय के धार्मिक संपत्तियों पर नियंत्रण को सीमित करने का प्रयास है। जैसे-जैसे यह विधेयक राज्यसभा की ओर बढ़ रहा है, इसका अंतिम परिणाम भारत में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन का भविष्य तय करेगा।

अब तक बस इतना ही।

 

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